सोमवार, 24 मई 2010


युग की आवश्यकता


मूल समस्या


आज सारी दुनिया की मूल समस्या शांति स्थापना की हैशायद ही किसी ज़माने में दुनिया को आज जैसी शांति की भूख रही होजो देश कल तक हिंसा के विचार में डूबे हुए थे, वे आज हिंसा से मुक्ति पाना चाहते हैआज भी वे शस्त्रास्त्र बढ़ाते है, फिर भी उससे मुक्ति कैसे होगी, यह सोच रहे हैवे शस्त्रास्त्र क्यों बड़ा रहे है ? क्योकि आदत से लचर हैलेकिन मन में समझे हुए है कि उससे कुछ होने जानेवाला नहींअगर होने वाला है, होगा तो गरीबो का नुकसान ही होगा और जीवन सुधर में रुकावट आयेगी, क्योकि बहुत सारा धन सेना पर खर्च होगाजिन देशो में खुनी क्रांति हुई है, वे भी आज शांति चाहते हैं। इसका कारण क्या है ? अभी तक शस्त्रास्त्र मानव के हाथ में थे, लेकिन अब वे उसके हाथ में नहीं, मानव ही उसके हाथ में पहुँच गया हैकहीं अगर विश्व युद्ध की आग लग जाये, तो कोई भी उसका नियंत्रण नहीं कर सकेगाइसलिए समस्यनों का हल युद्ध या हिंसा से होगा, यह आज मनुष्य को आशा नहीं रहीयह बहुत बड़ी बात हैकाम-से-काम इतना हुआ है, तो आगे की रह खुल जाएगीअगर शास्त्र से मसाले हल नहीं होते, तो ऐसा कोई मार्ग निकालना होगा, जो मसले हल कर सकेइसीके लिए है शांति सेना की योजना


रक्षणकारिणी अहिंसा


आज हिंसा में एक जगह एकत्र शक्ति लाने की जो सहूलियत है, वह अहिंसा में हो तो अहिंसा काम नहीं करेगीअंतिम हालत में वैसा प्रसंग भी आयेजब मानसिक, भौतिक और सामाजिक परिवर्तन हो चूका होगा, उस हालत में यह सवाल नहीं आयेगा, परन्तु आज, जब कि समस्या उपस्थित है, हिंसक एकदम हजारो- लाखों लोगों को एकत्र खड़े कर सकें, तो अहिंसा रक्षणकारिणी नहीं होगी, जीवन में थोडा-सा माधुर्य भर लानेवाली भले ही हो


विश्वास की शक्ति


एक दफा मैं बिहार में घूम रहा थामेरी यात्रा वेध्यानाथ धाम की तरफ जा रही थीउस समय वैद्यनाथ धाम के भक्त मेरे पास आते और बोलते : बम भोलानाथमैं उनसे कहता : तुम 'बम भोले, बम भोले' क्यों बोल रहे हो, लेकिन कुछ समझते भी हो कि आज दुनिया की मांग क्या है ? आज बम तो अमेरिका में है और भोलानाथ हिंदुस्तान मेंइस तरह बम भोलानाथ का बटवारा हो गया हैक्या सचमुच बोले बन सकते हैं ? क्या जान-भूझकर सामनेवाले पर विश्वास रखने की हिम्मत है ? यह नहीं कि मूर्ख बनकर सामनेवाले पर विश्वास रखोसारांश, आप में जान-बूझकर सामने वाले पर विश्वास रखने की हिम्मत आणि चाहिएचाहे वह चूरी लेकर आया हो, तो भी उसकी गोद में सोने की तयारी रखकर उससे कहना चाहिए कि अगर हिम्मत हो, तो चलाओ चूरी मेरी गर्दन परमेरी हिम्मत तो है तुम्हारी गोद में सोने की।" इस तरह की हिम्मत नौजवानों में आणि चाहिएइसीको कहते हैं 'भोलानाथ'। शांति सेना में 'बम' और 'भोलानाथ' दोनों इकट्ठे हो जाते है। 'शांति' और 'सेना' दोनों मिल कर 'शांतिसेना' होती है२४--०१०

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